Vishwakarma Puja विश्वकर्मा पूजा एक हिन्दू पर्व है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है, विशेषकर विश्वकर्मा समुदाय के लोगों द्वारा. यह पर्व वर्षिक रूप से बीतते है, जो सितंबर-अक्टूबर के बीच मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य विश्वकर्मा भगवान की पूजा और उनकी कृपा की प्राप्ति होती है, जिन्हें शिल्पकारों और उनके वर्गों के प्रतिष्ठित देवता माना जाता है।
इस दिन, शिल्पकार और उनके परिवार भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसाद चढ़ाते हैं। यह पर्व उनके शिल्पकारी कौशल को महत्वपूर्णता देता है और उन्हें उनके कार्य में सफलता की कामना करता है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन यह हमेशा शिल्पकारों के समृद्धि और सुरक्षा की कामना के साथ होता है।

विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाई जाती है?
विश्वकर्मा पूजा का मुख्य कारण भगवान विश्वकर्मा की पूजा और महत्वपूर्ण मान्यताओं का अधिकारी होना है, जिन्हें शिल्पकारों और उनके वर्गों के प्रतिष्ठित देवता माना जाता है। विश्वकर्मा भगवान को शिल्पकार, उद्योगशास्त्र, औद्योगिक विकास, और कला के पिता के रूप में पूजा जाता है।
शिल्पकार और उनके समृद्धि के लिए विश्वकर्मा पूजा महत्वपूर्ण होता है। इसके माध्यम से वे भगवान विश्वकर्मा से अपने कौशल की वृद्धि, सुरक्षा, और समृद्धि की कामना करते हैं। यह पूजा उनके वर्ग के लोगों के लिए एक प्रकार की प्राणिक महत्वपूर्णता रखती है और उन्हें उनके कर्मों के प्रति संबोधित करती है।
विश्वकर्मा पूजा एक सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व का भी हिस्सा होती है, जिसमें लोग अपने धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्शों का पालन करते हैं और अपने समुदाय के सदस्यों के साथ एकजुट होते हैं।
विश्वकर्मा पूजा कितना तारीख को है? |Vishwakarma Puja Kab Hai
हर साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है।
विश्वकर्मा पूजा का तारीख भारत और नेपाल में वर्ष के अलग-अलग महीनों में मनाई जाती है, लेकिन यह अक्सर सितंबर और अक्टूबर महीने में आता है। विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में इसकी तारीख भिन्न-भिन्न हो सकती है, क्योंकि इस पूजा को स्थानीय रूप से मनाया जाता है और किसी स्थान के स्थानीय परंपराओं और पंथों के अनुसार तारीख निर्धारित की जाती है।
इसलिए, विश्वकर्मा पूजा की तारीख स्थान के आधार पर अलग-अलग हो सकती है, लेकिन यह अक्सर सितंबर और अक्टूबर के पहले हफ्ते में होती है।
विश्वकर्मा भगवान कौन है? vishwakarma puja
विश्वकर्मा भगवान हिन्दू धर्म के अनुसार एक महत्वपूर्ण देवता है, जिन्हें शिल्पकला, उद्योगशास्त्र, औद्योगिक विकास, और कला के पिता के रूप में पूजा जाता है। विश्वकर्मा भगवान को शिल्पकारों और उनके वर्गों के प्रतिष्ठित देवता माना जाता है।
विश्वकर्मा भगवान का नाम ‘विश्वकर्मा’ उनके कौशल और उनके सृजनात्मक काम के साथ जुड़ा होता है। उन्हें सृजनात्मकता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है और उनके आशीर्वाद से शिल्पकारों का काम सफल होता है। विश्वकर्मा भगवान की पूजा शिल्पकारों और उनके समुदाय के लोगों के लिए अपने कार्य में समृद्धि और सुरक्षा की कामना के रूप में की जाती है।
विश्वकर्मा पूजा वर्षिक रूप से भारत और नेपाल में मनाई जाती है, और यह उन लोगों के बीच में एक महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक उत्सव है जो शिल्पकारी और उद्योगिक क्षेत्र में काम करते हैं।
विश्वकर्मा की पूजा कौन करता है?
विश्वकर्मा पूजा को विशेष रूप से विश्वकर्मा समुदाय के लोग करते हैं। यह पूजा उन लोगों द्वारा मनाई जाती है जो शिल्पकार, उद्योगकर्मी, और विभिन्न प्रकार के कारीगर होते हैं, जैसे कि विश्वकर्मा समुदाय के सदस्य।
इस पूजा के दौरान, शिल्पकार और उनके परिवार विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति की पूजा करते हैं, पुष्प, धूप, दीपक, नैवेद्य, और अन्य पूजा सामग्री के साथ। वे भगवान विश्वकर्मा से अपने कौशल और उद्योगिक कार्यों में समृद्धि और सुरक्षा की कामना करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा का मुख्य उद्देश्य विश्वकर्मा भगवान की पूजा करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का होता है, ताकि शिल्पकारों और उद्योगकर्मियों के कार्य में सफलता मिले।
विश्वकर्मा पूजा कैसे करें?
विश्वकर्मा पूजा को ध्यानपूर्वक और भक्तिभाव से करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:
- स्थल और समय की तैयारी: विश्वकर्मा पूजा को एक शुभ स्थल पर और विश्वकर्मा भगवान के फ़ोटो या मूर्ति के सामने करें। यदि आपके पास विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति नहीं है, तो उनकी चित्रकला या प्रतिष्ठित पूजा स्थल पर उनके प्रतीक का उपयोग कर सकते हैं। विश्वकर्मा पूजा को विशेषकर सुबह या दोपहर को करने का परंपरागत समय माना जाता है।
- शुद्धि और स्नान: पूजा करने से पहले, अपने शरीर को शुद्ध करने के लिए स्नान करें।
- पूजा सामग्री की तैयारी: पूजा के लिए पूजा सामग्री जैसे कि फूल, धूप, दीपक, कलश, नैवेद्य, और पूजा किताब (जिसमें पूजा की मंत्रों और कथाओं का संग्रह होता है) की तैयारी करें।
- पूजा का आरंभ: पूजा का आरंभ शुभकामनाओं और मंत्रों के साथ करें। आप विश्वकर्मा स्तोत्र, वंदना, और कथा पढ़ सकते हैं, जो उनके गुणों का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं।
- पूजा की अभिषेक: विश्वकर्मा की मूर्ति को पानी, दूध, या दही से स्नान कराएं, और फिर उन्हें शुद्ध जल और गंध से सजाएं।
- प्रतिष्ठापन: विश्वकर्मा की मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें और उनके समर्पण के लिए धूप, दीपक, फूल, और प्रसाद (आदिकाल के खाद्य पदार्थ) अर्पित करें।
- आरती: पूजा के बाद, विश्वकर्मा की आरती करें और मन्त्रों के साथ उनकी प्रशंसा करें।
- प्रसाद बाँटें: पूजा का प्रसाद सभी परिवार के सदस्यों के साथ बाँटें और इसे खाएं।
- ध्यान और धारणा: पूजा के बाद, विश्वकर्मा भगवान के गुणों को याद करें और उनके साथ अपने कार्यों की समर्पणा करें।
यहीं कुछ आम चरण हैं जो विश्वकर्मा पूजा के दौरान कार्यगत किए जा सकते हैं, लेकिन पूजा के विविध प्रकार हो सकते हैं और ये स्थान और संप्रदाय के आधार पर बदल सकते हैं। विश्वकर्मा पूजा को भक्तिभावपूर्णऔर सावधानी से करना बहुत महत्वपूर्ण है।
विश्वकर्मा पूजा सामग्री
विश्वकर्मा पूजा के लिए आमतौर पर निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- विश्वकर्मा मूर्ति: इस पूजा के लिए विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति की आवश्यकता होती है।
- पुष्प (फूल): पूजा के दौरान फूलों का उपयोग किया जाता है। विभिन्न प्रकार के फूल जैसे कि मरिगोल्ड, गुलाब, चमेली, कनेर, आदि का उपयोग किया जा सकता है।
- धूप और दीपक: विश्वकर्मा पूजा के दौरान धूप और दीपक की आवश्यकता होती है। इससे पूजा का माहौल आत्मिक और सात्विक बनता है।
- नैवेद्य (भोजन): भगवान को विश्वकर्मा पूजा के दौरान नैवेद्य यानि प्रसाद के रूप में आदर्श भोजन दिया जाता है।
- कुछ फल: पूजा के दौरान कुछ फलों का भी उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि केला, नारियल, सीब, आदि।
- अगरबत्ती: अगरबत्ती धूप की भाषा में उपयोग होती है और यह पूजा के दौरान महसूस की जाने वाली खुशबू प्रदान कर सकती है।
- पूजा थाली और कपड़ा: इन सामग्रियों की आवश्यकता होती है, जिनमें पूजा की वस्त्र, कुमकुम, रोली, और अन्य पूजा सामग्री शामिल हो सकती है।
यह सामग्री पूजा के आयोजन के साथ तैयार की जाती है और भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दौरान उपयोग की जाती है। यह सभी सामग्री पूजा के विभिन्न चरणों में उपयोग की जाती है जिसमें पूजा, आरती, और प्रसाद वितरण शामिल होते हैं।
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विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
विश्वकर्मा पूजा के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है ताकि पूजा की शुभता बनी रहे और भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त हो सके। निम्नलिखित हैं कुछ ऐसी बातें जो विश्वकर्मा पूजा के दिन नहीं की जानी चाहिए:
- शिल्पकारी काम: विश्वकर्मा पूजा के दिन शिल्पकारी काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह भगवान विश्वकर्मा के समर्पण का दिन होता है और उनकी पूजा का अवसर होता है।
- विद्या पढ़ाई या कार्य: अध्ययन और व्यवसायिक कार्य को विश्वकर्मा पूजा के दिन रोक देना बेहतर होता है।
- निशित अन्न: विश्वकर्मा पूजा के दिन, निशित अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए, और भोजन को पूजा के बाद ही करना चाहिए।
- किसी के साथ झगड़ा: इस दिन या इसके पूर्व दिन किसी के साथ मनमुटाव या झगड़ा नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।
- धूपचौराई: विश्वकर्मा पूजा के दिन अधिक धूपचौराई नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह पूजा के माहौल को प्रभावित कर सकता है।
- अशुभ कार्य: इस दिन अशुभ कार्य जैसे कि दुखद समाचार सुनना या किसी को दुख पहुंचाने वाला कार्य नहीं करना चाहिए।
यह कुछ आम नियम होते हैं जो विश्वकर्मा पूजा के दिन के लिए मान्य होते हैं, लेकिन इनमें कुछ भिन्नता स्थानीय परंपराओं और प्राथमिकताओं के आधार पर हो सकती हैं। इसलिए, सबसे अच्छा होता है कि आप अपने स्थानीय पंथों और परंपराओं के अनुसार चलें।
विश्वकर्मा पूजा मंत्र
विश्वकर्मा पूजा में कुछ मंत्रों का पाठ किया जा सकता है जो भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ मंत्र विश्वकर्मा पूजा के दौरान बोले जा सकते हैं:
- “ॐ विश्वकर्मणे नमः” – इस मंत्र का अर्थ होता है “भगवान विश्वकर्मा को मेरा नमस्कार”।
- “ॐ विश्वकर्मणे विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विश्वकर्मः प्रचोदयात्।” – इस मंत्र का अर्थ होता है “हम भगवान विश्वकर्मा को जानते हैं, हम वासुदेव की ध्यान करते हैं, और हम विश्वकर्मा को हमारे मार्ग को प्रेरित करने की क्षमता प्रदान करें।”
- “आयतु देवो विश्वकर्मा, यो निर्मिता ब्रह्माणा।” – इस मंत्र का अर्थ होता है “भगवान विश्वकर्मा, जो सब ब्रह्माणों के निर्माता है, वह आपके पास आएं।”
यदि आप विश्वकर्मा पूजा के दौरान किसी विशेष मंत्र का पाठ करना चाहते हैं, तो आप किसी ज्योतिष या पुरोहित की सलाह ले सकते हैं, क्योंकि मंत्रों का उच्चारण सही ढंग से किया जाना चाहिए।
विश्वकर्मा पूजा विधि मंत्र सहित PDF
विश्वकर्मा पूजा की विधि मंत्रों के साथ निम्नलिखित रूप में हो सकती है:
आवश्यक सामग्री:
- विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति
- पूजा के लिए सफा और शुद्ध स्थल
- पूजा थाली
- फूल
- दीपक और घी
- धूप और धूपदीप
- पूजा के लिए प्रसाद (नैवेद्य)
विधि:
- पूजा के लिए एक शुद्ध स्थल का चयन करें और वहाँ विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति स्थापित करें।
- मूर्ति के सामने बैठें और मन को शांति और ध्यान में लाएं।
- विश्वकर्मा पूजा की शुरुआत विश्वकर्मा मंत्र के उच्चारण से करें:
- “ॐ विश्वकर्मणे विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विश्वकर्मः प्रचोदयात्।”
- मूर्ति का अभिषेक करने के लिए पानी, दूध, गंगाजल, या दिव्य सुवर्ण जल का उपयोग करें। मूर्ति को अच्छे से स्नान करें और धूप, दीपक, और फूल से अलंकृत करें।
- विश्वकर्मा मंत्र के बाद, आरती गाएं और मूर्ति के चारों ओर घूमें।
- फिर नैवेद्य को मूर्ति के सामने रखें और भगवान को प्रसाद के रूप में अर्पण करें।
- पूजा के बाद दूध और फल का भोजन करें, और परिवार के सदस्यों के साथ इसे साझा करें।
- विश्वकर्मा पूजा के दौरान दूसरों के साथ सहयोग और उद्योगिक क्षेत्र में समृद्धि की कामना करें।
इस रूप में, आप विश्वकर्मा पूजा को ध्यानपूर्वक और भक्तिभाव से मना सकते हैं। पूजा के बाद यह महत्वपूर्ण है कि आप विश्वकर्मा भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करें, और अपने कार्यों में समृद्धि प्राप्त करें।
विश्वकर्मा पूजा विधि मंत्र सहित PDF
FAQ : Vishwakarma Puja 2023 : विश्वकर्मा पूजा कब है ? | विश्वकर्मा पूजा कैसे करें?
विश्वकर्मा पूजा क्या है?
विश्वकर्मा पूजा एक हिन्दू पर्व है जो भगवान विश्वकर्मा की पूजा और उनके कृपा की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है। यह पर्व वर्षिक रूप से भारत और नेपाल में मनाया जाता है और शिल्पकारों और उद्योगकर्मियों द्वारा धार्मिक और सामाजिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
विश्वकर्मा पूजा किस तारीख को होती है?
विश्वकर्मा पूजा का तारीख भारत और नेपाल में महीने के आदर्शित समय पर होता है, जो सितंबर-अक्टूबर के बीच में होता है। हर साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है।
विश्वकर्मा पूजा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
विश्वकर्मा पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने और उनकी कृपा की प्राप्ति होती है, जिन्हें शिल्पकारों और उद्योगकर्मियों के कार्य में समृद्धि और सुरक्षा की कामना करते हैं।
विश्वकर्मा पूजा की सामग्री क्या होती है?
विश्वकर्मा पूजा की सामग्री में विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति, पुष्प, धूप, दीपक, नैवेद्य, कुछ फल, अगरबत्ती, पूजा थाली, और कपड़ा शामिल हो सकते हैं।
विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
विश्वकर्मा पूजा के दिन कुछ निशित नियमों का पालन किया जाता है, जैसे कि शिल्पकारी काम, विद्या पढ़ाई, निशित अन्न का सेवन, धूपचौराई, और अशुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
विश्वकर्मा पूजा के मंत्र क्या हैं?
विश्वकर्मा पूजा के दौरान कुछ मंत्रों का पाठ किया जा सकता है, जैसे कि “ॐ विश्वकर्मणे नमः” और “ॐ विश्वकर्मणे विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विश्वकर्मः प्रचोदयात्”।