गौरी पूजन कब है ? | Gauri Puja 2023 Date Maharashtra

गौरी पूजन कब है ? गौरी पूजन हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा है जो माता पार्वती की पूजा के रूप में की जाती है। इस पूजा को गौरी व्रत भी कहा जाता है और यह भारत के विभिन्न भागों में मनाई जाती है, खासकर उत्तर भारत में।

गौरी पूजन का समय आमतौर पर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दोवा तिथि को मनाया जाता है, जब माता पार्वती को अपने पति भगवान शिव के साथ मिलने की इच्छा होती है। इस पूजा में महिलाएं माता पार्वती की उपासना करती हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।

गौरी पूजन कब है ?
गौरी पूजन कब है ?

ज्येष्ठ गौरी आवाहन 2023

गौरी पूजन के दौरान, महिलाएं विशेष रूप से सज-धज कर बैठती हैं और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र की पूजा करती हैं। वे अलंकरण, मेहंदी, वस्त्र, आभूषण आदि के साथ तैयारी करती हैं। इसके बाद, पूजा का प्रसाद तैयार करके माता पार्वती को अर्पण किया जाता है।

गौरी पूजन का मुख्य उद्देश्य माता पार्वती की भक्ति और पति के साथ सुखमय जीवन की प्राप्ति होता है। यह पूजा विशेष रूप से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाओं द्वारा की जाती है और उनके पतिव्रता धर्म को मजबूत करने का उद्देश्य रखती है।

गौरी पूजन कब है ? | Gauri Puja 2023 Date Maharashtra

2023 में गौरी पूजन 22 सितंबर को है।

गौरी पूजन को मंगला गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित है और श्रावण मास के मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और मां पार्वती की पूजा करती हैं।

Gauri Puja 2023 Date Maharashtra

2023 में गौरी पूजन 22 सितंबर को है।

गौरी पूजन को मंगला गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित है और श्रावण मास के मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और मां पार्वती की पूजा करती हैं।

Gauri Puja 2023 | Gauri Pujan 2023 Ganpati

ज्येष्ठ गौरी पूजन, जो भारतीय हिन्दू पौराणिक परंपरा का हिस्सा है, गौरी पूजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। ज्येष्ठ गौरी पूजन को ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा होती है।

इस पूजा में, महिलाएं माता ज्येष्ठ पार्वती की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन गौरी की मूर्ति को घर में सजाया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। महिलाएं अलंकरण, वस्त्र, आभूषण, आदि की विशेष तैयारी करती हैं और पूजा के बाद पूजा का प्रसाद बाँटती हैं।

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Gauri Pujan 2023 Ganpati पूजा केसे करे ?

गणेश चतुर्थी पर गौरी पूजन कैसे करें, निम्नलिखित कदमों के माध्यम से जानिए:

  1. तैयारी और सजावट:
  • पूजा के लिए गौरी की मूर्ति को खरीदें या तैयार करें।
  • गौरी की मूर्ति को सुंदरता से सजाएं, आभूषण पहनाएं, और फूलों से सजावट करें।
  1. पूजा सामग्री:
  • पूजा के लिए सामग्री तैयार करें, जैसे कि दीपक, धूप, अगरबत्ती, कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, आदि।
  • पूजा के लिए फल, मिठाई, और नैवेद्य (भोजन) की भी तैयारी करें।
  1. पूजा का आयोजन:
  • पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें और आसन तैयार करें।
  • गौरी मूर्ति को स्थापित करें और उसके सामने आसन पर बैठें।
  1. पूजा की विधि:
  • शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजा का आरंभ करें।
  • धूप और अगरबत्ती जलाएं, गौरी मूर्ति को कुमकुम और हल्दी से सौंदर्यभूषण दें, और पूजा गीत गाएं।
  • गौरी माता को प्राण प्रतिष्ठापन करने के बाद, उनका पूजन करें और उन्हें नैवेद्य दें।
  • मन, वचन, और क्रिया से गौरी माता की भक्ति करें और उनसे आशीर्वाद मांगें।
  1. आरती और प्रसाद:
  • गौरी माता की आरती उतारें और उन्हें प्रसाद दें।
  • प्रसाद को अपने परिवार और दोस्तों के साथ बाँटें।
  1. व्रत उपासना:
  • यदि आप व्रत रख रहे हैं, तो उसे सुखद भावना के साथ पूरा करें।
  • व्रत के दौरान गौरी माता का नाम जाप करें और उनकी कथाएँ सुनें।
  1. समापन:
  • पूजा के बाद, गौरी माता को ध्यान से विदाय दें और उनका समर्पण करें।
  • पूजा सामग्री को उपयुक्त तरीके से संरक्षित करें और पूजा स्थल को साफ करें।

गणेश चतुर्थी पर गौरी पूजन महत्वपूर्ण है और इसे भक्ति और श्रद्धा से मनाने का प्रयास करें। यह एक परिवारिक और धार्मिक महोत्सव होता है, जिसमें परिवार के सभी सदस्य भाग लेते हैं और माता गौरी के आशीर्वाद की कामना करते हैं।

ज्येष्ठ गौरी पूजन का मुख्य उद्देश्य माता ज्येष्ठ पार्वती की भक्ति करना और उनकी कृपा की प्राप्ति करना होता है। यह पूजा विशेष रूप से सुख, सौभाग्य, और परिवार की सुरक्षा के लिए की जाती है। ज्येष्ठ गौरी पूजन को विशेष रूप से महिलाएं मनाती हैं और इसका महत्व उनके जीवन में बड़ा होता है।

FAQ : गौरी पूजन कब है ?

गौरी पूजन क्या है?

गौरी पूजन हिन्दू धर्म में माता पार्वती की पूजा का एक महत्वपूर्ण रूप है, जिसका मुख्य उद्देश्य माता पार्वती की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्ति करना होता है। यह पूजा विशेष रूप से महिलाओं द्वारा की जाती है और सुख, सौभाग्य, और परिवार की सुरक्षा के लिए की जाती है।

गौरी पूजन कब मनाई जाती है?

गौरी पूजन आमतौर पर भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की दोवा तिथि को मनाई जाती है।

गौरी पूजन के दौरान क्या कार्यवाही की जाती है?

गौरी पूजन के दौरान, महिलाएं माता पार्वती की मूर्ति या चित्र की पूजा करती हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। वे अलंकरण, मेहंदी, वस्त्र, आभूषण आदि के साथ तैयारी करती हैं और इसके बाद पूजा का प्रसाद तैयार करके माता पार्वती को अर्पण करती हैं।

ज्येष्ठ गौरी पूजन क्या है?

ज्येष्ठ गौरी पूजन, जो ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, एक अन्य रूप है जिसमें महिलाएं माता ज्येष्ठ पार्वती की पूजा करती हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। यह पूजा वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है।

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